Bihar Land Registry : अगर आप अभी बिहार से हैं तो एक बार फिर बिहार में जमीन रजिस्ट्री के नियमों में बदलाव हो सकता है, आपको बता दे कि 24 सितंबर को बदलाब होना था, लेकिन किसी कारण से डेट को बढ़ाया गया, और इसे 15 अक्टूबर को बिहार में जमीन रजिस्ट्री के नियम में बदलाव हो सकता है, चलिए जानते हैं पूरी जानकारी इसकी अगर आप जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को वहां तक जरूर पढ़े ।
15 अक्टूबर से लागू हो सकते है नए नियम, बढ़ेगी लोगों की परेशानी ।
बिहार में जमीन की खरीद-बिक्री और रजिस्ट्री प्रक्रिया से संबंधित नियमों में एक बार फिर बदलाव किए जा सकता है ,15 अक्टूबर 2024 से इन नए नियमों के लागू होने की सम्भवना है, जिससे भूमि से संबंधित दस्तावेजी प्रक्रिया में कई नए प्रावधान जुड़ जाएंगे। इस बदलाव के साथ ही राज्य में जमीन खरीदने और रजिस्ट्री कराने वाले लोगों के लिए एक बार फिर नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
नए नियम और उनके प्रभाव
बिहार सरकार के भूमि सुधार विभाग ने 15 अक्टूबर से जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया में कुछ नए नियम लागू करने का निर्णय लिया जा सकता है। इन नियमों के अनुसार, अब जमीन की रजिस्ट्री के लिए पहले से ज्यादा दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, दस्तावेजी प्रक्रिया के दौरान सत्यापन और भूमि की वैधता को और अधिक सख्त बनाया गया है। भूमि मालिकों और खरीददारों को पहले से अधिक दस्तावेज तैयार करने होंगे, जिसमें भूमि का पूरा इतिहास, नक्शा, और पट्टा आदि शामिल होंगे।
सरकार का दावा है कि इन नए नियमों का उद्देश्य जमीन के फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी के मामलों में कमी लाना है। हालांकि, इन बदलावों से आम जनता को भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। जिन लोगों ने पहले से ही जमीन की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, उन्हें अब इन नए नियमों के तहत दस्तावेजी प्रक्रिया को दोबारा पूरा करना पड़ेगा। इससे उनके लिए समय और खर्च दोनों में वृद्धि हो सकती है।
समस्याएं और आम जनता की प्रतिक्रिया Bihar Land Registry
नए नियमों के लागू होने से आम जनता के बीच निराशा और असंतोष देखने को मिल रहा है। कई लोगों का मानना है कि रजिस्ट्री की प्रक्रिया पहले से ही लंबी और जटिल थी, और अब इन नए प्रावधानों के बाद यह और भी कठिन हो गई है। जो लोग पहले से ही जमीन की रजिस्ट्री करवा चुके हैं, उन्हें अपने दस्तावेजों में सुधार करने और नए नियमों के अनुसार उन्हें फिर से सत्यापित कराने की आवश्यकता होगी।

इसके अलावा, भूमि के रजिस्ट्रेशन के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने की समस्या भी बढ़ गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग, जो अक्सर डिजिटल माध्यमों का उपयोग नहीं कर पाते, उन्हें दस्तावेज तैयार करने और सबमिट करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में लोगों को जमीन की खरीद-बिक्री के लिए अधिक समय और धन खर्च करना पड़ेगा।
सरकार का पक्ष और संभावित लाभ
बिहार सरकार का मानना है कि इन नए नियमों के लागू होने से भूमि के फर्जी दस्तावेजों और बिचौलियों की गतिविधियों पर रोक लगेगी। सरकार ने दावा किया है कि नए प्रावधानों से जमीन की पारदर्शिता बढ़ेगी और खरीदारों को सुरक्षित तरीके से भूमि खरीदने का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही, जमीनी विवादों के मामलों में भी कमी आने की उम्मीद है।
सरकार का कहना है कि जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया को ऑनलाइन और डिजिटल माध्यमों से और सरल बनाने की योजना भी बनाई जा रही है, ताकि लोगों को बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें। इसके अलावा, जमीन की रजिस्ट्री की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए डिजिटल मानचित्रण और भूमि डेटा को ऑनलाइन उपलब्ध कराने की योजना भी बनाई जा रही है।
फिर से सत्यापित कराने की आवश्यकता होगी
बिहार में जमीन रजिस्ट्री के नए नियमों का उद्देश्य भूमि संबंधी प्रक्रिया को पारदर्शी और सुरक्षित बनाना है। हालांकि, इन बदलावों के कारण आम जनता को शुरुआत में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सरकार को चाहिए कि वह इन नियमों के साथ-साथ जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के लिए प्रयास करें, ताकि लोग बिना किसी परेशानी के अपनी जमीन की खरीद-बिक्री कर सकें।
नए नियमों का असर आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा, लेकिन फिलहाल इसके कारण लोगों के सामने नई चुनौतियां जरूर खड़ी हो गई हैं। समय के साथ, इन नियमों का सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव स्पष्ट होगा, जिससे राज्य में जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया के सुधारों की दिशा में आगे के कदम तय किए जा सकेंगे।
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